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भिवाड़ी के युवा प्रीतम दायमा के हँसमुख व्यवहार ने लोगों में बनाई अलग पहचान, तीसरी बार है पार्षद

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मनीष बावलिया/अलवर। भिवाड़ी के मिलकपुर गुर्जर निवासी युवा प्रीतम दायमा के हँसमुख व्यवहार ने लोगों के बीच में उनकी अलग पहचान बनाई है। उनके हमेशा हँसते हुए चेहरे के सब कायल है। लोगों का कहना है कि गुस्से में भी उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान ही बनी रहती है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह 3 तीसरी बार भिवाड़ी नगर परिषद में पार्षद है। दो बार निर्वाचित तो वर्तमान में सरकार द्वारा मनोनीत किया गया है। इसके साथ समाज सेवा के विभिन्न कार्यों में सबसे आगे रहते है। तिजारा विधायक के सबसे खास लोगों में उनकी गिनती है। दायमा राजनीति के साथ वकालत भी करते है। 

छात्र जीवन से ही राजनीति में है सक्रिय

प्रीतम दायमा ने बताया कि छात्र हितों व समाजसेवा को देखते हुए वह छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए। 2001-02 में बीबीरानी महाविद्यालय में छात्रसंघ उपाध्यक्ष रहे, सन 2005 में तिजारा देहात के भाजपा युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष रहे, 2009 में वार्ड नम्बर 6 के पहली बार पार्षद बने, 2012 में भाजपा युवा मोर्चा कर जिला महामंत्री रहे, 2014 में वार्ड 8 के दूसरी बार पार्षद बने, 2015 में भाजपा भिवाड़ी के मंडल अध्यक्ष रहे, 2020 में वह तीसरी बार पार्षद बने है।
 

कोरोना के समय की लोगों की मदद

कोरोना के समय मे जब लोग घरों में कैद हो गए थे उस समय नही उन्होंने पीड़ित लोगों की मदद की। खाने पीने से लेकर मेडिलकल तक सुविधाएं लोगों को उपलब्ध कराई। इसके अलावा भी तिजारा में होने वाले सामाजिक कार्यो में हमेशा आगे रहते है। इसके लिए उन्हें कई सामाजिक संघटनों की ओर से सम्मानित भी किया गया है।
 

विधायक संदीप यादव के माने जाते है खास

युवा प्रीतम दायमा और तिजारा विधायक संदीप यादव की दोस्ती कॉलेज समय से आजतक है। दोनों बीबीरानी महाविद्यालय में साथ पड़े है। छात्र राजनीति के बाद अबतक राजनीति भी साथ कर रहे है। इसी कारण चुनावों में प्रत्यक्ष रूप से विधायक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर सम्भव मदद की। आज भिवाड़ी में उनकी विधायक के सबसे खास व्यक्ति के रूप में पहचान है।
 

दादा से मिली समाजसेवा की प्रेरणा

वह बताते है कि उनके दादाजी महाशय विजय सिंह दायमा समाजसेवी रहे है। उन्होंने उस समय में समाजसेवा के लिए अनेक कार्य किये थे। उस समय वह ब्लॉक् समिति तिजारा के प्रधान भी रहे। जिस कारण उन्हें अलग पहचान मिली। पिताजी भगवत प्रसाद दायमा आयुर्वेदिक विभाग में वैध रहे है। 1990 में पंचायत समिति के सदस्य भी रहे है।
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