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अलवर में पारसी शैली को जीवित रखे हुए है महाराज भर्तृहरि नाटक, 1958 से निरन्तर है जारी, कई राज्यों से आते है लोग देखने

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एनसीआर संदेश/अलवर। शहर में श्री राजर्षि अभय समाज के रंगमंच पर महाराजा भर्तृहरि का नाटक पारसी शैली में प्रदर्शित होता है। यह नाटक रामलीला के समापन के बाद शुरू होता है जो 16 दिन तक लगातार चलता है। इस नाटक को देखने के लिए अलवर जिले सहित दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से भी लोग आते हैं। नाटक की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि साल भर लोग इस नाटक के शुरू होने का इंतजार करते हैं। नाटक रात करीब 9 बजे से सुबह 4 बजे तक चलता है।

अध्यक्ष धर्मवीर शर्मा ने बताया कि 7 अक्टूबर से नाटक शुरू हो रहा है। पारसी शैली पर आधारित विश्व स्तरीय यह नाटक सन 1958 से प्रतिवर्ष 16 दिन तक निरंतर चल रहा है। जिसमें महाराजा भृतहरि की जीवनी से लेकर सन्यासी जीवन तक को प्रदर्शित किया जाता है।

पारसी शैली की है कई विशेषता

उन्होंने बताया कि पारसी शैली में भारी भरकम्प मेकअप किया जाता है। साथ ही कलाकारों का तेज आवाज में डायलॉग बोलना, पारसी शैली में बने मनमोहक पर्दों का ऊपर नीचे ऊपर होना, महिलाओं का अभिनय पुरुषों द्वारा किया जाता है लेकिन समय बदलने के साथ अब कुछ महिलाएं भी अभिनय करने लगी है।

अलवर के लोक देवता है महाराजा भर्तृहरि

अलवर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में रोड़ से करीब 3 किलोमीटर अंदर महाराजा भर्तृहरि का धाम बना हुआ है। महाराजा भर्तृहरि अलवर जिले के लोक देवता है। यहां होने वाले हर शुभ काम से पहले भर्तृहरि बाबा के जयकारे लगते हैं। अष्टमी पर यहां मेला लगता है। मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाराजा भर्तृहरि की समाधि और अखंड ज्योति के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचते हैं। यहां गोमुख से जलधारा भी निकल रही है। जिसे गंगा की तरह पवित्र माना जाता है।

आज से शुरू होगा नाटक का शुभारंभ

श्री राजर्षि अभय समाज के रंगमंच पर आज से महाराजा भर्तृहरि के नाटक का मंचन शुरू होगा। यह कार्यक्रम बाबा फुल नाथ जी महाराज के सान्निध्य में आयोजित होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अशोक गोड़ होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ आनंद शर्मा करेंगे जबकि विशिष्ट अतिथि शहर विधायक संजय शर्मा होंगे।

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