संसद ने एक ही दिन में दो ऐतिहासिक समुद्री विधेयक पारित किए,  व्यापार सुगमता और भारत के पोत परिवहन क्षेत्र को भविष्य के लिए तैयार करने हेतु ‘समुद्री माल परिवहन विधेयक, 2025’ पारित 

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दिल्ली / संसद ने ऐतिहासिक घटनाक्रम में बुधवार को दो ऐतिहासिक समुद्री विधेयक पारित किए। पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) के लिए यह पहला विधेयक है। इससे भारत में आधुनिक, कुशल और वैश्विक स्तर पर समन्वित समुद्री नीति ढाँचे का मार्ग प्रशस्त हुआ।  लोकसभा ने ‘व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक, 2025’ को स्वीकृति दे दी। इसका उद्देश्य आधुनिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपालन दृष्टिकोण के साथ समुद्री शासन को सुव्यवस्थित करना है। इस बीच, राज्यसभा ने ‘समुद्री माल ढुलाई विधेयक, 2025’ पारित किया। इसने एक सदी पुराने औपनिवेशिक युग के कानून को व्यापार में आसानी को बढ़ावा देने और भारत के नौवहन क्षेत्र को भविष्य के लिए तैयार करने हेतु डिज़ाइन किए गए अद्यतन कानून से बदल दिया।

इस अवसर पर  केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “आज मंत्रालय में हम सभी के लिए ऐतिहासिक दिन है। संसद ने दो महत्वपूर्ण विधेयकों – व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक, 2025 और समुद्री माल ढुलाई विधेयक, 2025 – को पारित किया हैजो नीतिगत और कार्यान्वयन दोनों दृष्टि से भारत के समुद्री क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण का प्रभावी ढंग से समर्थन करते हैं। आजइन विधेयकों के पारित होने के साथभारत के आधुनिक पोत परिवहन के लिए मोदी सरकार के प्रयासों को संसद से दोहरा समर्थन प्राप्त हुआ है।”

व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक, 2025 – प्रगतिशील, भविष्य के लिए तैयार कानून जो पुराने व्यापारिक पोत परिवहन अधिनियम 1958 का स्थान लेगा। यह विधेयक भारत के समुद्री कानूनी ढांचे को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने और विश्वसनीय समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में देश की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

लोकसभा में व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक, 2025 पेश करते हुए, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “यह विधेयक भारत को समुद्री व्यापार और प्रशासन में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम है। यह प्रगतिशील और उन्नत कानून हैजो अंतरराष्ट्रीय समुद्री सम्मेलनों के अनुरूप है और अग्रणी समुद्री राष्ट्रों की सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरित है।”

यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में किए गए प्रमुख कानूनी सुधारों की श्रृंखला का हिस्सा है। इसका उद्देश्य शिपिंग और समुद्री क्षेत्रों में मजबूत विकास को सक्षम बनाना है। इन सुधारों ने दक्षता, पारदर्शिता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। अद्यतन ढाँचे की आवश्यकता पर बल देते हुए, मंत्री ने कहा कि  व्यापारिक पोत परिवहन अधिनियम, 1958 561 धाराओं के साथ भारी, खंडित और पुराना हो गया था, जो समकालीन समुद्री चुनौतियों का समाधान करने या कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन सम्मेलनों के तहत भारत के दायित्वों को पूरी तरह से लागू करने में विफल रहा।

सर्बानंद सोनोवाल ने यह भी कहा, व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक, 2025, 16 भागों और 325 धाराओं के साथअंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुरूप भारत के समुद्री कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण करता हैसमुद्र में सुरक्षा बढ़ाता हैआपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार करता है और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करता है। यह अनुपालन बोझ को कम करता हैभारतीय टन भार को बढ़ावा देता हैऔर नाविक कल्याण और जहाज सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। इस विधेयक का उद्देश्य भारत को विश्व स्तर पर सम्मानित समुद्री क्षेत्राधिकार बनाना और इस क्षेत्र में सतत विकासनिवेश और नवाचार को बढ़ावा देना है।”

दूसरी ओर, राज्यसभा में, समुद्री माल परिवहन विधेयक, 2025 पारित किया गया। इसने एक सदी पुराने भारतीय समुद्री माल परिवहन अधिनियम, 1925 को निरस्त कर दिया। यह नया कानून, पुराने औपनिवेशिक युग के कानूनों को समाप्त करके और व्यापार को आसान बनाने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप भारत के कानूनी ढाँचे को आधुनिक बनाने के सरकार के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।

यह विधेयक हेग-विस्बी नियमों को अपनाता है, जो विश्वव्यापी रूप से स्वीकृत समुद्री मानक है और जिसका पालन ब्रिटेन जैसे देश भी करते हैं। जटिलता के स्थान पर स्पष्टता लाकर, इस विधेयक से समुद्री व्यापार कानूनों को सरल बनाने, मुकदमेबाजी के जोखिमों को कम करने और समुद्र के रास्ते माल की आवाजाही में पारदर्शिता और व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने की उम्मीद है। यह विधेयक केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने राज्यसभा में पेश किया।

इस अवसर पर  केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा, “संविधानपूर्व युग के इस कानून को निरस्त करना और इसके स्थान पर नया कानून लानाऔपनिवेशिक मानसिकता के सभी अवशेषों से मुक्ति पाने और सरल एवं तर्कसंगत कानूनों के माध्यम से समझ में आसानी और व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने की इस सरकार की बड़ी पहल का हिस्सा है। यह विधेयक केवल वैधानिक सुधार नहीं है – यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में शासन के व्यापक दर्शन को दर्शाता हैजटिलता को स्पष्टता सेपुराने मानदंडों को आधुनिक मानकों से और औपनिवेशिक अवशेषों को ऐसे दूरदर्शी कानूनों से प्रतिस्थापित करना जो  पुनरुत्थानशील भारत के हितों की पूर्ति करते हैं।”

यह विधेयक भारत के समुद्री व्यापार कानूनों को भविष्य के लिए तैयार और अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इनमें ब्रिटेन के साथ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) भी शामिल है,इस वर्ष 28 मार्च को लोकसभा ने इस विधेयक को पारित किया था। राज्यसभा में चर्चा के दौरान, सदस्यों ने समुद्री सुरक्षा और तस्करी के जोखिमों सहित कई मुद्दे उठाए। इस पर सरकार ने आश्वासन दिया कि वैधानिक और परिचालन सुरक्षा उपायों के माध्यम से समाधान किया जा रहा है।  इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों में व्यापक द्विदलीय समर्थन प्राप्त हुआ।

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