राखी का पवित्र बंधन – इतिहास, परंपरा और अलवर की रौनक

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अलवर। राखी या रक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। सदियों से यह पर्व भारतीय संस्कृति की आत्मा में बसा हुआ है। भाई – बहन का यह त्यौहार अपने आप में ख़ास हैं। बहना भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस त्यौहार पर भाई बहने हमेशा ख़ुश रहते हैं। जिन युवतियों की शादी हो जाती हैं वह अपने भाई के घर जाकर राखिया बांधती हैं। बहन नहीं आ पाती तो भाई बहन के घर जाते हैं। प्यार का एक अलग एहसास हैं राखी।

इतिहास और उत्पत्ति

रक्षाबंधन का जिक्र प्राचीन ग्रंथों और लोककथाओं में मिलता है। महाभारत में कथा है कि द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की उंगली कटने पर अपनी साड़ी का टुकड़ा बांध दिया था, और श्रीकृष्ण ने जीवन भर उनकी रक्षा का वचन निभाया। इतिहास में भी कई उदाहरण हैं —

मेवाड़ की रानी कर्णावति ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर मदद मांगी, जिसे उसने स्वीकार किया और सहायता के लिए सेना भेजी।

चित्तौड़ की रानी पद्मिनी और अन्य राजपूत रानियों ने भी संकट में राखी भेजकर सुरक्षा की अपील की।

भारत में परंपरा
राखी का त्योहार प्राचीन काल से अलग-अलग रूपों में मनाया जाता रहा है। पहले यह भाई-बहन के रिश्ते के साथ-साथ गुरु-शिष्य, राजा-प्रजा और मित्रता के बंधन के रूप में भी प्रचलित था। आज यह पर्व पूरे भारत में हर साल सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती है, और भाई उसकी सुरक्षा का संकल्प लेता है।

अलवर जिले में राखी की रौनक

अलवर में रक्षाबंधन पर बाजारों में खास रौनक रहती है। घण्टाघर, होपसर्कस से लेकर कस्बाई बाजारों में रंग-बिरंगी राखियां सज जाती हैं — कारीगरों की बनाई हुई पारंपरिक राखियों से लेकर मॉडर्न डिज़ाइन तक। मिठाई की दुकानों पर घेवर, बर्फी और के. साथ विभिन्न प्रकार की मिठाईया बिक रही हैं। अलवर में बनी राखियां विदेशों तक जाती हैं, जिससे स्थानीय कारीगरों की मेहनत दूर-दूर तक सराही जाती है।
राखी पर बहनें सुबह-सुबह पूजा की थाली सजाकर भाई के घर जाती हैं, तिलक करती हैं, राखी बांधती हैं और घर का बना मीठा खिलाती हैं। यह दिन पूरे परिवार के एक साथ बैठने और प्रेम का संदेश फैलाने का अवसर बन जाता है।

राखी का असली संदेश

राखी सिर्फ धागा नहीं, यह विश्वास, सुरक्षा, अपनापन और त्याग का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की मजबूती प्रेम और वचनबद्धता में होती है, चाहे समय और परिस्थिति कैसी भी हो।

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